Stories Of Vikram Betaal

  • Autor: Vários
  • Narrador: Vários
  • Editora: Podcast
  • Duração: 1:44:03
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Informações:

Sinopse

Series of 25 stories of Vikram Betaal known as Vetal Pachcheesi

Episódios

  • बेताल पच्चीसी : पाँचवी कहानी-असली वर कौन, Asli ver kaun

    06/04/2018 Duração: 02min

     पाँचवी कहानी-असली वर कौन मगध देश में महाबल नाम का एक राजा राज्य करता था । जिसके महादेवी नाम की बड़ी सुन्दर कन्या थी। वह अद्वितीय रूपवती थीं। जब वह विवाह योग्य हुई तो राजा को बहुत चिन्ता होने लगी। बहुत से राजकुमार आये लेकिन राजकुमारी को कोई पसंद न आया। राजा ने सोचा जो राजकुमार शक्तिशाली और गुणवान होगा उसी से राजकुमारी का विवाह होगा। एक दिन एक राजकुमार राजदरबार में आया और बोला, “मैं राजकुमारी का हाथ मांगने आया हूँ।” राजा ने कहाँ, “मैं अपनी लड़की उसे दूँगा, जिसमें सब गुण होंगे।” राजकुमार ने कहा, “मेरे पास एक ऐसा रथ है, जिस पर बैठकर जहाँ चाहो, घड़ी-भर में पहुँच जाओगे।” राजा बोला, “ठीक है। कुछ दिन इंतजार करें, मैं राजकुमारी से पूछकर बताता हूँ।” फिर एक दिन एक और राजकुमार आया। उसने कहा- “मैं त्रिकालदर्शी हूँ। मैं भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों की बातें बता सकता हूँ।” राजा ने उसे भी इंतजार करने को कहा। कुछ दिन बाद एक और राजकुमार आया। जब राजा ने उससे पूछा कि आपमें क्या गुण हैं तब उसने कहा- “मैं धनुर्विद्या में निपुण हूँ। धनुष चलाने में मेरा कोई मुकाबला नहीं कर सकता।” इस तरह तीन वर इकट्ठे हो गये। राजा सोच

  • बेताल पच्चीसी : चौथी कहानी-ज़्यादा पापी कौन : Zyada Papi Kaun

    05/04/2018 Duração: 07min

    चौथी कहानी-ज़्यादा पापी कौन भोगवती नाम की एक नगरी थी। उसमें राजा रूपसेन राज करता था। उसके पास चिन्तामणि नाम का एक तोता था। एक दिन राजा ने उससे पूछा, “हमारा ब्याह किसके साथ होगा?” तोते ने कहा, “मगध देश के राजा की बेटी चन्द्रावती के साथ होगा।” राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा तो उसने भी यही कहा। उधर मगध देश की राज-कन्या के पास एक मैना थी। उसका नाम था मदन मंञ्जरी। एक दिन राज-कन्या ने उससे पूछा कि मेरा विवाह किसके साथ होगा तो उसने कह दिया कि भोगवती नगर के राजा रूपसेन के साथ। इसके बाद दोनों का विवाह हो गया। रानी के साथ उसकी मैना भी आ गयी। राजा-रानी ने तोता-मैना का ब्याह करके उन्हें एक पिंजड़े में रख दिया। एक दिन की बात है तोता-मैना में बहस हो गयी। मैना ने कहा, “आदमी बड़ा पापी, दग़ाबाज़ और अधर्मी होता है।” तोते ने कहा, “स्त्री झूठी, लालची और हत्यारी होती है।” दोनों का झगड़ा बढ़ गया तो राजा ने कहा, “क्या बात है, तुम आपस में लड़ते क्यों हो?” मैना ने कहा, “महाराज, मर्द बड़े बुरे होते हैं।” इसके बाद मैना ने एक कहानी सुनायी। इलाहापुर नगर में महाधन नाम का एक सेठ रहता था। विवाह के बहुत दिनों के बाद उसके घर एक ल

  • बेताल पच्चीसी : तीसरी कहानी-पुण्य किसका : Punny kiska

    04/04/2018 Duração: 04min

    तीसरी कहानी-पुण्य किसका वर्धमान नाम के एक नगर में रूपसेन नाम का एक दयालु और न्यायप्रिय राजा राज करता था। एक दिन उसके यहाँ वीरवर नाम का एक राजपूत नौकरी के लिए आया। राजा ने उससे पूछा कि उसे ख़र्च के लिए क्या चाहिए तो उसने जवाब दिया, हज़ार तोले सोना। सुनकर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ। राजा ने पूछा, “तुम्हारे साथ कौन-कौन है?” उसने जवाब दिया, “मेरी स्त्री, बेटा और बेटी।” राजा को और भी अचम्भा हुआ। आख़िर चार जने इतने धन का क्या करेंगे? फिर भी राजा ने सोचा जरूर कोई कारण होगा और उसने उसकी बात मान ली। उस दिन से वीरवर रोज हज़ार तोले सोना भण्डारी से लेकर अपने घर आता। उसमें से आधा ब्राह्मणों में बाँट देता, बाकी के दो हिस्से करके एक मेहमानों, वैरागियों और संन्यासियों को देता और दूसरे से भोजन बनवाकर पहले ग़रीबों को खिलाता, उसके बाद जो बचता, उसे स्त्री-बच्चों को खिलाता, आप खाता। काम यह था कि शाम होते ही ढाल-तलवार लेकर राजा के पलंग की चौकीदारी करता। राजा को जब कभी रात को ज़रूरत होती, वह हाज़िर रहता। एक दिन आधी रात के समय राजा को मरघट की ओर से किसी के रोने की आवाज़ आयी। उसने वीरवर को पुकारा तो वह आ गया। राजा ने कहा, “जाओ,

  • बेताल पच्चीसी : दूसरी कहानी -पति कौन, Pati kaun

    03/04/2018 Duração: 04min

    दूसरी  कहानी -पति कौन यमुना के किनारे धर्मस्थान नामक एक नगर था। उस नगर में गणाधिप नाम का राजा राज करता था। उसी में केशव नाम का एक ब्राह्मण भी रहता था। ब्राह्मण यमुना के तट पर जप-तप किया करता था। उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम मालती था। वह बड़ी रूपवती थी। जब वह ब्याह के योग्य हुई तो उसके माता, पिता और भाई को चिन्ता हुई। संयोग से एक दिन जब ब्राह्मण अपने किसी यजमान की बारात में गया था और भाई पढ़ने गया था, तभी उनके घर में एक ब्राह्मण का लड़का आया। लड़की की माँ ने उसके रूप और गुणों को देखकर उससे कहा कि मैं तुमसे अपनी लड़की का ब्याह करूँगी। उधर ब्राह्मण पिता को भी एक दूसरा लड़का मिल गया और उसने उस लड़के को भी यही वचन दे दिया। उधर ब्राह्मण का लड़का जहाँ पढ़ने गया था, वहां वह एक लड़के से यही वादा कर आया। कुछ समय बाद बाप-बेटे घर में इकट्ठे हुए तो देखते क्या हैं कि वहां एक तीसरा लड़का और मौजूद है। दो उनके साथ आये थे। अब क्या हो? ब्राह्मण, उसका लड़का और ब्राह्मणी बड़े सोच में पड़े। दैवयोग से हुआ क्या कि लड़की को साँप ने काट लिया और वह मर गयी। उसके बाप, भाई और तीनों लड़कों ने बड़ी भाग-दौड़ की, ज़हर झाड़नेवालों को बु

  • बेताल पच्चीसी : पहली कहानी -पापी कौन : Paapi kaun

    02/04/2018 Duração: 10min

    पहली कहानी -पापी कौन काशी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज्य करता था। उसके वज्रमुकुट नाम का एक बेटा था। एक दिन राजकुमार दीवान के लड़के को साथ लेकर शिकार खेलने जंगल गया। घूमते-घूमते उन्हें तालाब मिला। उसके पानी में कमल खिले थे और हंस किलोल कर रहे थे। किनारों पर घने पेड़ थे, जिन पर पक्षी चहचहा रहे थे। दोनों मित्र वहाँ रुक गये और तालाब के पानी में हाथ-मुँह धोकर ऊपर महादेव के मन्दिर पर गये। घोड़ों को उन्होंने मन्दिर के बाहर बाँध दिया। वो मन्दिर में दर्शन करके बाहर आये तो देखते क्या हैं कि तालाब के किनार कोई राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ स्नान करने आई है। दीवान का लड़का तो वहीं एक पेड़ के नीचे बैठा रहा, पर राजकुमार से न रहा गया। वह आगे बढ़ गया। राजकुमार ने उसकी ओर देखा तो वह उस पर मोहित हो गया। राजकुमारी भी उसकी तरफ़ देखती रही। फिर उसने किया क्या कि जूड़े में से कमल का फूल निकाला, कान से लगाया, दाँत से कुतरा, पैर के नीचे दबाया और फिर छाती से लगा, अपनी सखियों के साथ चली गयी। उसके जाने पर राजकुमार निराश हो अपने मित्र के पास आया और सब हाल सुनाकर बोला, “मैं इस राजकुमारी के बिना नहीं रह सकता। पर मुझे न तो उसका नाम माल

  • विक्रम बेताल : आरंभ की कहानी, Vikram Betal : Aarambh ki kahani

    01/04/2018 Duração: 09min

    बेताल पचीसी की आरंभिक कहानी बहुत पुरानी बात है। धारा नगरी में गंधर्वसेन नाम के एक राजा राज करते थे। उनकी चार रानियाँ तथा छ: लड़के थे। सब-के-सब बड़े ही चतुर और बलवान थे। उसी में से एक विक्रम थे। संयोग से एक दिन राजा की मृत्यु हो गई और उनकी जगह उनका बड़ा बेटा शंख गद्दी पर बैठा। राजा शंख बड़ा विलासी प्रवृत्ति का था। उसका मन राज-काज में नही लगता था। उसके विलासिता के कारण राज्य की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होने लगी। राजकोष घटने लगा। दुश्मनों की नजरें राज्य पर पड़ने लगी। प्रजा के साथ ही सभी मंत्रीगण चाहते थे कि विक्रम राजा बने। विक्रम से भी राज्य की दुर्दशा देखी नही जाती थी। सभी लोग विक्रम के साथ थे। इसके बाद की कहानी सुनिए इस पॉडकास्ट मे……. राजा विक्रम जब अपने राजी वापिस लौटे उसके बाद की कहानी कुछ यूँ है…. भर्तृहरि के राजपाट छोड़कर वन में चले जाने की बात विक्रम को मालूम हुई तो वह लौटकर अपने देश में आया। आधी रात का समय था। जब वह नगर में घुसने लगा तो देव ने उसे रोका। राजा ने कहा, “मैं विक्रम हूँ। यह मेरा राज है। तुम रोकने वाले कौन होते हो?” देव बोला, “मुझे राजा इन्द्र ने इस नगर की चौकसी के लिए भेजा है। तुम स

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