Puliyabaazi

ज़िन्दगी की चाबी. Gene Editing.

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Sinopse

कुछ ही महीनों पहले चीन के एक वैज्ञानिक ने जीनोम-एडिटिंग का उपयोग कर जुड़वां बच्चियाँ बनाकर पूरे जगत को हिला दिया | जीन एडिटिंग ने ‘कुदरत बनाम परवरिश’ विवाद को एक नया आयाम दे दिया है | तो इस बार पुलियाबाज़ी पर लेकर आए हैं हम एक वैज्ञानिक को जीन्स, जीन एडिटिंग बारे में विस्तार से चर्चा करने के लिए | हमारी गेस्ट है शांभवी नाईक, जो एक कैंसर बायोलॉजिस्ट हैं और तक्षशिला इंस्टीटूशन में रिसर्च फेलो हैं | हमने उनसे जीवशास्त्र से जुड़े कई सवालों पर चर्चा की: जीन्स क्या होते हैं? उनका एक कोशिका में उपयोग क्या है? क्या जीन्स सच में ‘स्वार्थी’ होते हैं? युजेनिक्स ने जीन शोध का किस प्रकार दुरुपयोग किया? जीन एडिटिंग क्या है? इसके फायदे क्या हैं? जीन एडिटिंग पर सरकारी नीतियाँ कैसे तय की जानी चाहिए? Rapid advances in gene editing techniques have given a fresh impetus to the ‘nature vs nurture’ debate. So in the next edition of Puliyabaazi, we brought in a science policy researcher for an in-depth chat on genes, genetics, and the genetic revolution. Our guest is Shambhavi Naik, a Fellow at the Takshashila Institution. We discuss