Puliyabaazi

भारत के विकास की चाबी। Accelerating India’s Development with Karthik Muralidharan

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Sinopse

हम सभी जानते है कि भारत की राज्य क्षमता यानी की state capacity सीमित है। इसका असर आम भारतीयों के जीवन पर भी होता है। प्राथमिक शिक्षा का उदाहरण लें तो यदि हम यथास्थिति बनाए रखते हैं, तो 2047 तक, हमारे पास अन्य 20 करोड़ बच्चे होंगे जो बुनियादी साक्षरता के बिना प्राथमिक शिक्षा पूरी करेंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राज्य की क्षमता कैसे बढ़ाई जाए? सरकारी नौकरशाही के ब्लैक बॉक्स को कैसे सुधारा जाए? इन्हीं कुछ अहम सवालों के जवाबों की खोज प्रोफेसर कार्तिक मुरलीधरन की नयी किताब में। माफ़ कीजियेगा, ये किताब नहीं, ग्रंथ है। आज की पुलिया पर उसकी झांकी लीजिये, वो भी प्रोफ़ेसर साहब की सहज हिंदी में। हमें तो कई उत्तर मिलें। आप भी सुनिए, और कुछ सवाल हो तो हमें ज़रूर भेजिए। The Indian state takes up mighty goals, but fails to fulfil them due to its limited state capacity. This has disastrous consequences on the lives of ordinary Indians. Take the example of primary education—if we maintain the status quo, by 2047, we will have another 20 crore children that will finish primary school without basic literacy. But the big question