Stories Of Singhasan Battisi

सिंहासन बत्तीसी: आठवीं पुतली पुष्पवती : Pushpvati

Informações:

Sinopse

पुष्पवती आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजाने का शौक था। वे कलाकृतियों का मूल्य आँककर बेचनेवाले को मुँह माँगा दाम देते थे। एक दिन वे अपने दरबारियों के बीच बैठे थे कि किसी ने खबर दी कि एक आदमी काठ का घोड़ा बेचना चाहता है। राजा ने देखना चाहा कि उस काठ के घोड़े की विशेषता क्या है। नौकर के साथ वह आदमी दरबार में आया। अपने साथ वह ऐसा काठ का घोड़े लाया जिसकी कारीगरी देखते बनती थी। एकदम जीवित मालूम पड़ता था। बहुत गौर से देखने पर ही पता चलता था कि लकड़ी का है। विक्रम ने उस आदमी से घोड़े की विशेषताओं के बारे में पूछा। उस आदमी ने जवाब दिया कि वह घोड़ा अति तीव्र गति से जल, थल और आकाश- तीनों में विचरण कर सकता है।  उसके दाम के बारे में पूछने पर उसने बताया कि यह उसकी जीवन भर की मेहनत का फल है, इसलिए वह एक लाख स्वर्णमुद्राओं से कम में उसे नहीं बेचेगा। राजा को उसकी बात जँच गई और एक लाख स्वर्ण-मुद्राएँ देकर उन्होंने वह घोड़ा खरीद लिया। फिर वह आदमी खुले मैदान में आकर घोड़े को उठाकर दिखाने लगा तथा उसके कल-पुजाç के बारे में सब कुछ बताने लगा। उसके