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41: उर्दू का अदब, नज़ाकत, परिवेश और ग़ालिब को अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की बारीकियाँ

Informações:

Sinopse

आज के दौर में जब व्हाट्सअप पर हर दूसरा शेर ग़ालिब और गुलज़ार के नाम से ठेल दिया जाता है, तब हम समझ सकते हैं कि आधुनिक युवा भी उर्दू की शायरी और गजलों के मोह से अछूता नहीं है.शेर, ग़ज़ल या कविता कम शब्दों में मार्मिक बात कहने की कूवत रखते हैं.इसीलिए प्राचीन समय से इनका अनुवाद कार्य अनेक भाषाओँ में बड़े पैमाने पर होता रहा है.तभी तो आज फारसी न जानने वाला पाठक भी रूमी का उद्धरण बड़े गर्व के साथ देता है.    हमारे आज के पोडकास्ट में, हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता माज़ बिन बिलाल से बात कर रही हैं.माज़ प्रोफेशन से असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और दिल से एक लेखक, कवि, शायर,समीक्षक और अनुवादक.आपका महत्वपूर्ण कार्य ग़ालिब का अनुवाद है और उन्हीं के माध्यम से माज़ संस्कृति, साहित्य और समाज पर रौशनी डाल रहे हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ.