Storytel Hindi Audiobook Podcast

  • Autor: Vários
  • Narrador: Vários
  • Editora: Podcast
  • Duração: 71:45:31
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Informações:

Sinopse

A Hindi podcast about Audiobooks and books. Where every once in a while, we will be talking about everything that is on Storytel in Hindi Language, potentially could be on Storytel or just in general. It will feature author interviews, voice artist interviews, book lovers and more.We hope you join us and discuss with us. Tell us what you want to hear.www.storytel.in

Episódios

  • 56: अगर आप अंग्रेज़ी, बांग्ला और हिंदी में ऑडियो सीरीज़ लिखना चाहते हैं तो स्टोरीटेल पब्लिशर सुरोमिता रॉय को सुनिये

    27/12/2019 Duração: 28min

    यह पोडकास्ट इस मायने में ख़ास है कि इसमें कोई 'मेहमान' नहीं है. स्टोरीटेल इंडिया परिवार की सदस्य सुरोमिता रॉय जो अंग्रेज़ी, बांग्ला, हिंदी तीनों में ओरिजिनल सीरीज़ लिखवाने का काम करती हैं, [अंग्रेज़ी और बांग्ला में वो प्रकाशित पुस्तकें ऑडियो के लिए सेलेक्ट करने का काम भी करती हैं] इस बातचीत में हमसे शेयर कर रही हैं कोलकाता से मुंबई तक का अपना सफ़र, फ़िल्म इंडस्ट्री में काम करने का अनुभव और सबसे ज़रूरी वह सब जो इन तीन भाषाओं में हमारे लिए ऑडियो ओरिजिनल लिखने की तमन्ना रखने वालों के लिए ख़ास काम का है. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ.

  • 55: हिंदी में आज की जनरेशन की कहानियाँ हमनें ही लिखना शुरू की: सत्य व्यास

    16/12/2019 Duração: 37min

    सत्य व्यास नई वाली हिंदी के पोस्टर बॉय कहे जाते हैं और ऐसा हो भी क्यों न! नई पीढ़ी को हिंदी किताबें पढ़ने के लिए तैयार करने में सत्य जैसे लेखकों को बड़ा हाथ है. उनके लिखे लगभग सभी उपन्यास पिछले कई सालों से बेस्टसेलर  सूचियों में लगातार अपनी जगह बनाये हुए हैं. उन्हीं का लिखा उपन्यास "चौरासी" हार्ड कॉपी के साथ साथ अब ऑडियो बुक के रूप में स्टोरीटेल एप पर मौजूद है. 1984 के दंगों की पृष्ठभूमि में लिखे उनके उपन्यास में जहाँ दंगों का वीभत्स रूप है, वहीं इंसानियत के सबसे मुश्किल दौर से गुज़रती एक प्रेम कहानी भी. इस पॉडकास्ट में सुनिए "चौरासी" के लिखे जाने और ऑडियो बुक बनने के सफ़र के बारे में. फिल्मों, क्रिकेट और किताबों को पढ़ने के शौक़ीन सत्य ने इस बार के "बोलती किताबें" पॉडकास्ट में हमारी होस्ट इला जोशी के साथ अपने लेखन के सफ़र, अपनी पसंद नापसंद और आने वाली योजनाओं को लेकर विस्तार में बात की है. इला जोशी की आवाज़ में सत्य का उपन्यास "84" सुनने के लिये लिंक: https://www.storytel.com/in/en/books/633003-84-Chaurasi सत्य का लिखी स्टोरीटेल ओरिजिनल 'शिशिर की गर्लफ़्रेंड' सुनने के लिए लिंक: https://www.storytel.co

  • 54: जब अनुराग कश्यप ने मुझसे कहा तुम मुंबई आ जाओ क्यूँकि तुमने फ़िल्म रीलीज कर ली और मैं नहीं कर पाता

    10/12/2019 Duração: 41min

    'सरकार 3' के संवाद लेखक और 'जेड प्लस' के लेखक रामकुमार सिंह पश्चिमी राजस्थान में बिरानियाँ नाम के एक गाँव से आते हैं. उनके लेखक बनने, जर्नलिज़्म तथा साहित्य के मार्फ़त उनके मुंबई पहुँचने और अपने ड्रीम फ़िल्ममेकर राम गोपाल वर्मा के साथ काम करने का उनका सफ़र उत्साह और ऊर्जा से भरने वाला है. यह बातचीत रामकुमार की किस्सागोई और ज़िंदादिली से आबाद है. स्टोरीटेल के लिए रामकुमार ने हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार चरण सिंह पथिक की कहानी 'दो बहनें' पढ़ी है जिसे आप इस लिंक पर जा कर सुन सकते हैं. 'दो बहनें' पर ही विशाल भारद्वाज ने अपनी फ़िल्म 'पटाखा' बनाई थी. https://www.storytel.com/in/en/books/631182-Do-Behnein और चरण सिंह पथिक के साथ 'पटाखा' के बनने की कहानी वाल पोडकास्ट सुनने का लिंक यह रहा: https://audioboom.com/posts/7055699- आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ.

  • 53: मुझे हृषिकेश मुखर्जी जैसी फ़िल्में लिखनी हैं : अनु सिंह चौधरी

    02/12/2019 Duração: 37min

    पत्रकार, साहित्यिक लेखक, रेडियो लेखक, अनुवादक, डाक्यूमेंट्री फ़िल्म मेकर और अब स्क्रीन राइटिंग में सक्रिय अनु सिंह चौधरी की प्रकाशित किताबों में 'नीला स्कार्फ़' और 'भली लड़कियाँ बुरी लड़कियाँ' शामिल हैं जिसे आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं. आई.आई.एम. सी. से पढ़ाई करने के बाद टीवी मेल मिली नौकरी करने की जगह पहली बार मुंबई 'धक्क खाने' आई अनु अब फिर से मुंबई हैं. मुंबई से मुंबई के बीच उन्होंने एनडी टीवी में काम किया, माँ के रूप में अपने दायित्य को निभाया, ब्लॉग लिखा, किताबें लिखीं, कुछ डाक्यूमेंट्री एक वेब सीरीज़ बनायी. इस बातचीत में वे बात रही हैं अपनी इस पूरी यात्रा के बारे में. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 52: हिंद युग्म में कोई सेल्स विभाग नहीं, सब निर्णय एडिटर्स ही लेते हैं: शैलेश भरतवासी

    22/11/2019 Duração: 50min

    अपने प्रकाशन हिंद युग्म के मार्फ़त हिंदी में साहित्यिक पुस्तकों के प्रकाशन और डिस्ट्रीब्यूशन को थोड़े समय में ही बदल देने वाले शैलेश भरतवासी आज हिंदी के सुपरस्टार पब्लिशर हैं. वे पहले प्रकाशक हैं जिन्हें मूलतः डिजिटल युग की पैदाइश कहा जा सकता है. उनके प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किताबें लगातार बेस्टसेलर रही हैं और उनके कई लेखक अब 'लखप्रति क्लब' में शामिल हैं यानि उनकी पुस्तकों की एक लाख से अधिक प्रतियाँ पाठक ख़रीद चुके हैं. इस बातचीत में शैलेश चर्चा कर रहे हैं बदलाव की इस कहानी की. हिंदी साहित्य और प्रकाशन से जुड़े लोगों के साथ साथ नये लेखकों और पाठकों श्रोताओं के लिए एक ज़रूरी बातचीत. हिंद युग्म की जो बेस्टसेलर किताबें आब स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं उनमें सत्य व्यास की 84, दिव्य प्रकाश दुबे की 'अक्टूबर जंक्शन', अनु सिंह चौधरी की 'भली लड़कियाँ बुरी लड़कियाँ',  नीलोत्पल मृणाल की 'औघड' शामिल हैं. आने वाले दिनों में आप हिंद युग्म की और भी किताबें स्टोरीटेल पर सुन पाएँगे. 

  • 51: मैंने अपने ट्रेड के किसी हिंदी लेखक को कभी नहीं पढ़ा: सुरेन्द्र मोहन पाठक

    12/11/2019 Duração: 46min

    यह सुरेन्द्र मोहन पाठक का पहला पॉडकास्ट है. हिंदी में क्राइम और मिस्ट्री लेखन के सबसे बड़े जादूगर सुरेन्द्र मोहन पाठक के घर पर रिकार्ड किये गये इस ख़ास एपिसोड में उन्होंने अपने परिचित बिंदास लहजे में अपने और दूसरों के बारे में बात की है. उनको अलग से ऑनेस्ट या बोल्ड होने की ज़रूरत नहीं पड़ती, यह उनका स्व-भाव है. हम आपको अपनी तरफ़ से ज़्यादा नहीं बताएँगे, आप ख़ुद सुनिये अपने इस महबूब लेखक को. सुरेन्द्र मोहन पाठक के उपन्यास आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं. इसके लिए यहाँ जाएँ और स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ. 

  • 50: नवंबर में क्या नया आ रहा है स्टोरीटेल पर, और कविताएँ कुछ महान कवियों की

    04/11/2019 Duração: 35min

    'बोलती किताबें' के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं नवम्बर में नया क्या आ रहा है स्टोरीटेल पर. इसमें वो नयी किताबें शामिल हैं जो हमने प्रिंट से ऑडियो में बदली हैं और वो ओरिजिनल भी सीधे आपन सुनने वालों के लिए लिखें जाते हैं. ये कौनसी किताबें और कौनसे ओरिजिनल हैं यह जानने के लिए लेकिन आपको यह पोडकास्ट सुनना होगा.  यह पोडकास्ट आप इसलिए भी सुन सकते हैं कि इसमें गिरिराज और मयंक टंडन आपको सुना रहे हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, केदारनाथ सिंह, श्रीकांत वर्मा और नागार्जुन की कुछ बेहद फ़ेमस कविताएँ. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 49: मैं बहुत बोलती हूँ क्यूँकि जो नहीं बोल पाईं उन स्त्रियों के हिस्से का भी बोलती हूँ: गीता श्री

    31/10/2019 Duração: 40min

    पत्रकार और कथाकार गीता श्री ने देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थाओं में लम्बे समय तक काम किया. 'आऊटलुक हिंदी' में बतौर फ़ीचर सम्पादक किए उनके काम को यादगार माना जाता है लेकिन उनके भीतर के लेखक और पत्रकार के बीच एक तरह का क्रिएटिव कानफ़्लिकट और आपसदारी का रिश्ता हमेशा रहा. उनकी शुरुआती किताबें इस रिश्ते से निकली और उन्होंने हिंदी स्त्रीवादी लेखन को जेरेबहस करने में एक भूमिका निभाई. उनकी प्रकाशित कृतियों में 'स्त्री को पुकारता है स्वप्न', 'डाउनलोड होते हैं सपने', 'हसीनाबाद' और 'भूत खेला' शामिल हैं. 'हसीनाबाद को आप स्टोरीटेल पर सुन भी सकते हैं.  इस बातचीत में गीता श्री अपने पारिवारिक सामाजिक माहौल और धीरे धीरे एक पत्रकार और लेखक बनने की यात्रा पर बात कर रही हैं - एक यात्रा को उनके लिए ख़ुद को स्त्री के तौर पर परिभाषित करने की यात्रा भी रही है और अपने समाज और देश में स्त्री होने को समझने की भी.  आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 48: अंग्रेज़ी न बोलने के लिए बेंत खाते हुए बच्चों के बीच मैं चार भाषाओं में बड़ा हुआ: अखिल कात्याल

    20/10/2019 Duração: 33min

    ‘बोलती किताबों’ के इस पॉडकास्ट में हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता आज मशहूर कवि और क्वीयर कार्यकर्ता अखिल कात्याल से बात कर रही हैं. लखनऊ में जन्मे अखिल के दो संग्रह How Many Countries Does the Indus Crossऔर Night Charge Extraप्रकाशित हो चुके हैं. आपने रवीश कुमार की किताब ‘इश्क में शहर होना’ का A City Happens in Loveनाम से अनुवाद किया है. अखिल की कविताओं ने तेजी से अपने पाठकों के बीच अपनी छाप छोड़ी है. अखिल दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को क्रिएटिव राइटिंग भी पढ़ाते हैं. यहाँ अखिल बात कर रहे हैं उन समयों की जिनमें कवि और कविता को कोमलता और सम्वेदनशील होने के साथ साथ सख़्त-जान और सख़्त-जिगर भी होना होता है. अपने समय की अंधेरी सचाइयों को कहने के लिए और ताक़त के सम्मुख खड़ा होने के लिए. वे बात कर रहे हैं उस माहौल के बारे में जिसमें अंग्रेज़ी न बोलने के लिए प्रताड़ित होते बच्चों के बीच वे बड़े हुए और कैसे हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी, उर्दू उनके होने का हिस्सा बनी. वे बात कर रहे हैं रवीश कुमार की लघु प्रेम कथाओं  [लप्रेक] को अंग्रेज़ी में अनुवाद करने में उनके सामने आयी चुनौतियों के बारे में.  और वे बात कर रहे हैं दक

  • 47: हास्य, व्यंग्य और राजनीति पर ‘जनता स्टोर’ वाले की चुटकी: नवीन चौधरी

    13/10/2019 Duração: 35min

    हास्य, व्यंग्य और राजनीति आज तनाव दूर करने का जरिया है. सोशल मीडिया के इस युग में मजेदार मीम औरट्रोलिंग में जहाँ हर कोई किसी ट्रेंड को फॉलो करता नज़र आता है, वहीँ सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो संतुलित शब्दों में अपनी बात रखते हुए भी उसकी रोचकता बनाये रखते हैं. दरअसल जितनी ‘असहिष्णुता’ आपको सोशल मीडिया पर नज़र आती है, उतनी शायद वास्तविक दुनिया में नहीं है. ऐसे में ये और जरूरी हो जाता है कि संतुलित नजरिया रखने वाले व्यक्तित्व अपने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से माहौल को हल्का बनाये रखें.               हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता,आज के इस पोडकास्ट में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के मार्केटिंग हेड नवीन चौधरीसे बात कर रही हैं. मार्केटिंग में अपनी धार दिखाने के साथ ही नवीन फोटोग्राफी, व्यंग्य लेखन और ट्रेवल राइटिंग में भी अपनी विशेष पहचान रखते हैं. आप अपने ब्लॉग ‘कटाक्ष’ और ‘हिंदी वाला ब्लॉगर’ पर भी नियमित रूप से लिखते रहते हैं. हाल ही में आई आपकी किताब ‘जनता स्टोर’ बेहद चर्चा में रही, और दैनिक जागरण बेस्टसेलर लिस्ट में भी इसने अपनी जगह बनाई. नवीन अपने काम, अपनी किताब ही नहीं अपनी सोशल मीडिया पोस्ट की वजह स

  • 46: कुमांउनी महक, किस्सों और अनुवाद से प्यार पर इरा पांडे से एक गुफ्तगू

    01/10/2019 Duração: 37min

    किस्से-कहानियां साहित्य का अभिन्न अंग रही हैं और साहित्य से किसी भी इन्सान का पहला लगाव उन्हीं किस्सों के माध्यम से होता है, जो उसने अपनी दादी/नानी से सुनी होती हैं. ये किस्से इतिहास की वाचिक परम्परा का ही हिस्सा होते हैं. वो इतिहास जो जाने-अनजाने हमारे मन में घर कर, यादों का एक ऐसा नगर बसा देता है, जो ताउम्र हमें घेरे रहता है. किस्सों की ये गली जब खुलती है तो कहने वाला और सुनने वाला दोनों ही एक अनजान जगह पर घूम आते हैं. ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्से हमें सुना रही हैं हमारी आज की मेहमान. उन्होंने ये किस्से अपनी मां शिवानी से सुने थे. वही शिवानी, जो हमें कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि, पूतों वाली, श्मशान चंपाइत्यादि के रूप में याद हैं.           हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता,आज के इस पोडकास्ट में इरा पांडेसेइन क़िस्सों और उनकीकुमांउनी महक पर बात कर रही हैं. इरा ने सेमिनार, Biblio, Dorling Kindersley और रोली बुक्स के लिए संपादन किया है. आप IIC पब्लिकेशन की चीफ एडिटर भी रह चुकी हैं. माँ शिवानी पर लिखी आपकी किताब ‘दिद्दी’ और मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास‘ट’टा प्रोफेसर’ का आपका अनुवाद बहुत प्रसिद्ध हुए हैं. इनके अलावा आपने और

  • 45: आजकल के स्टार हिंदी लेखक पैन-हिंदी लेखक नहीं हैं: प्रभात रंजन

    25/09/2019 Duração: 39min

    लेखक, अनुवादक, अध्यापक, सम्पादक प्रभात रंजन हिंदी की दुनिया में ख़ुद एक ख़बर हैं भी और हर ख़बर उन्हें पता भी होती है. वे उम्दा किस्सागो और आला न्यूज़ब्रेकर हैं. उन्होंने बेहतरीन कहानियाँ लिखीं; गेब्रियल गार्सिया मार्केस और मनोहर श्याम जोशी पर किताबें लिखीं; देवदत्त पट्टनायक जैसे लेखक को हिंदी में ट्रांसलेट किया; 'जानकीपुल' जैसी वेबसाइट को चलाया जिस पर पाठक, नए लेखक और प्रकाशक  सालों से नज़र बनाये हैं; उनके कहे पर विवाद हुए और वो डेमोक्रेटिक बने रहे और  ज़िंदगी भर पॉप्युलर लेखन वालों के बीच 'गंभीर साहित्य' और 'गंभीर साहित्य' वालों के बीच पॉप्युलर का झंडा बुलंद करते रहे.  दूसरों  पर तरकश चलाये लेकिन ख़ुद पर भी उतनी ही बेमुरव्वत से जिसकी कुछ झलक आप इस बातचीत में भी पायेंगे.  उनकी दो किताबें 'जानकीपुल' और 'कोठागोई' आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं. 'जानकीपुल' सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें और 'कोठागोई' सुनने के लिये यहाँ. और अगर आप अब तक स्टोरीटेल सब्सक्राइबर नहीं हैं, तो यहाँ क्लिक करें.   

  • 44: सुनिये स्टोरीटेल ओरिजिनल 'टपक'

    20/09/2019 Duração: 08min

    कभी कभी कुछ अजीब और भयानक घटने के लिए आपको कहीं जाना नहीं पड़ता. अजीब और भयानक ख़ुद चल कर आपके दरवाज़े तक आ जाता है. लेकिन  नैना और देव को अपने घर के सुरक्षित, आत्मीय घेरे में यह कहाँ पता था कि ऐसा उनके साथ भी बस अभी होने वाला है. रत्ना सक्सेना की लिखी इस हॉरर मिस्ट्री को आवाज़ दी है राहुल पाटिल, प्रशांत सुमन, प्रशांत मित्रा और ख़ुद रत्ना सक्सेना ने. 'टपक' जैसी और कहानियाँ सुनने के लिए सब्सक्राइब करें स्टोरीटेल.  आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in

  • 43: अनुवाद और मातृत्व में बैलेंस की तलाश: उर्मिला गुप्ता

    05/09/2019 Duração: 40min

    किसी भी अन्य विधा की तरह ही अनुवाद भी कागजों, किसी एक जगह या व्यक्ति तक सीमित रहने वाली प्रक्रिया नहीं है. यह एक लाइफ लॉन्ग जर्नी है, जिसके हर कदम पर आप कुछ न कुछ सीखते हुए आगे बढ़ते हैं. अनुवाद के विषय में हमारी आज की मेहमान का मानना है कि जब एक लेखक के लिए उसकी कृति बच्चे के समान होती है, तो वहीं अनुवादक के लिए भी वो उसका सेरोगेट चाइल्ड है. किताब का मूल भले ही अनुवादक का नहीं होता, लेकिन उस मूल को अपने परिवेश में लाने तक का सफर अनुवादक भी एक अभिभावक की तरह ही पूरा करता है, फिर वो चाहे एक सेरोगेट अभिभावक ही क्यों न हो.    हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता,आज के इस पोडकास्ट में उर्मिला गुप्ता से अनुवाद और लाइफ के पेचीदा बैलेंस पर बात कर रही हैं. उर्मिला गुप्ता,पेशे से अनुवादक, संपादक,ब्लॉगर, स्क्रिप्ट राइटर हैं तोदिल से पूरी तरह फ़िल्मी . पिछले बारह सालों से किताबों की दुनिया में काम करते हुए 20से ज्यादा किताबों का अनुवाद किया, जिनमें कई बेस्टसेलर किताबें शामिल हैं. आपने यात्रा बुक्स, राजकमल प्रकाशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में संपादन और अनुवाद कार्य किया. इसके अलावा टीमवर्क, स्कोलास्टिक, हार्पर कॉलिन्स,जगरनॉट, व

  • 42: संवेदनशीलता और ख़ूबसूरती पर सत्यानंद निरुपम से एक ख़ास बातचीत

    29/08/2019 Duração: 39min

    शहरी आपधापी में जो कुछ जरूरी चीजें हमसे छूट रही हैं, उनमें साहित्य और प्रकृति भी है. प्रकृति जहां आपके शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है, वहीं साहित्य का आपके मानसिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है. क्या ये सही नहीं है कि शहरी युवाओं में तेजी से बढ़ते हुए तनाव का भी यही कारण है. वो न तो खुलकर सांस ले पा रहे हैं और न ही अपनी कल्पनाओं को उड़ान दे रहे हैं.     हमारे आज के पोडकास्ट में, हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता राजकमल प्रकाशन समूह के संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरुपम से बात कर रही हैं. सत्यानंद किताबों के संपादन के साथ ही हिंदी साहित्य को भी एक आकार प्रदान कर रहे हैं. साहित्य में उनके द्वारा किये गए नए प्रयोगों की अक्सर ही चर्चा होती है. इस सम्पादकीय व्यक्तित्व के साथ ही, एक प्रकृति प्रेमी के रूप में भी उनकी झलक अक्सर देखने को मिलती है| आज के इस पोडकास्ट में इन्हीं सब भूमिकाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है.  आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 41: उर्दू का अदब, नज़ाकत, परिवेश और ग़ालिब को अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की बारीकियाँ

    22/08/2019 Duração: 41min

    आज के दौर में जब व्हाट्सअप पर हर दूसरा शेर ग़ालिब और गुलज़ार के नाम से ठेल दिया जाता है, तब हम समझ सकते हैं कि आधुनिक युवा भी उर्दू की शायरी और गजलों के मोह से अछूता नहीं है.शेर, ग़ज़ल या कविता कम शब्दों में मार्मिक बात कहने की कूवत रखते हैं.इसीलिए प्राचीन समय से इनका अनुवाद कार्य अनेक भाषाओँ में बड़े पैमाने पर होता रहा है.तभी तो आज फारसी न जानने वाला पाठक भी रूमी का उद्धरण बड़े गर्व के साथ देता है.    हमारे आज के पोडकास्ट में, हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता माज़ बिन बिलाल से बात कर रही हैं.माज़ प्रोफेशन से असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और दिल से एक लेखक, कवि, शायर,समीक्षक और अनुवादक.आपका महत्वपूर्ण कार्य ग़ालिब का अनुवाद है और उन्हीं के माध्यम से माज़ संस्कृति, साहित्य और समाज पर रौशनी डाल रहे हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 40: किस्से हैं, संस्कृति है, इतिहास है और हैं व्यंजन : बोलती किताबें में इस बार पुष्पेश पन्त

    17/08/2019 Duração: 43min

    कहा जाता है कि एक किताब सौ मित्रों के समान होती है, तो एक अच्छा मित्र पुस्तकालय के बराबर है.लेकिन जब बात एक प्रमुख अकादमिक, फ़ूड क्रिटिक, लेखक व प्रख्यात अनुवादक पुष्पेश पन्त की हो रही हो तो उन्हें तो एक चलायमान थिसारस, आर्काइव और आज के युवाओं की भाषा में कहें तो, ‘गूगल’ ही कहा जा सकता है| उन्हें सुनना एक युग को सुनने के समान है, इसमें दिलचस्प बात ये है कि एक दौर, एक समय की बात बताते हुए भी उनकी बातों में प्राचीनता या जड़ता नहीं आ पाती.  हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता इस पोडकास्ट में पुष्पेश जी से बात करते हुए, उनके विविध आयाम को आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं|   आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 39: मैं चाहता हूँ तीस साल में 'आर्टिकल 15' जैसी फ़िल्म बनाने की ज़रूरत न रहे : गौरव सोलंकी

    03/08/2019 Duração: 56min

    अनुभव सिन्हा की फ़िल्म 'आर्टिकल 15' के सह-लेखक गौरव सोलंकी से फ़िल्म गीतकार पुनीत शर्मा की यह बातचीत फ़िल्म को लिखे जाने की प्रक्रिया और उसकी बारीकियों में जाती है. हमें पता चलता है कि कैसे हिंदी की महानतम कृतियों में से एक ओम प्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा 'जूठन' फ़िल्मकार अनुभव सिन्हा, एक्टर आयुषमान खुराना और गौरव के बीच एक कड़ी बन गयी थी जिसके सहारे वे अपनी कहानी में अभिव्यक्त हो रहे सामाजिक यथार्थ को और गहराई से समझ पा रहे थे. फ़िल्म के अलावा यह बातचीत गौरव की साहित्यिक कहानियों के बारे में और दिल्ली में एक हिंदी लेखक के रूप में उनके दिनों के बारे में भी है!  और अंत में पर उनकी आवाज़ में एक कविता भी . उम्मीद है आपको बोलती किताबें का यह एपिसोड पसद आएगा.  आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

  • 38: इस बार मिलिये बुकसेलर और पाठक से: क़िस्से मंडी हाउस, खान मार्केट, मढ़ आईलैंड से

    30/07/2019 Duração: 50min

    आजकल लोग, बाकी चीज़ों की तरह, किताबें भी ऑनलाइन ख़रीदते हैं लेकिन इसके बावजूद अभी भी बुकसेलर्स और किताबों की दुकानों की एक जीवंत दुनिया है जिसमें किताब हाथ में लेकर उलट पलट कर, बुक सेलर से बात करते हुए ख़रीदी जाती है. आत्मीयता और गर्माहट से भरा एक रिश्ता है जो किताबों के पाठकों और किताबों के विक्रेताओं के बीच शुरू से रहा है और अब भी क़ायम है. दिल्ली जैसे शहर में इसका एक छोर बाहरी संस है जो यहाँ किताबें  पाने का सबसे पुराना, सबसे मशहूर ठिकाना है तो दूसरा छोर संजनाजी हैं जो एक अरसे से मंडी हाउस के पास पेड़ नीचे किताबें बेचती हैं. पास ही नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा है जिसके रंगकर्मी उनके गहरे दोस्त हो गए हैं. संजना तिवारी और बाहरी संस दोनों दिल्ली के और किताबों की दुनिया के आयकन हैं.  हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता इस पोडकास्ट में बात कर रही हैं संजनाजी और बाहरी संस के एक्सपर्ट बुक सेलर मिथिलेश से. इसके अलावा इस एपिसोड में हमारे एक और ख़ास मेहमान हैं राम जो किताबें ख़ूब पढ़ते और सुनते हैं. राम इस बातचीत में बता रहे हैं वो कैसी किताबें पसंद करते हैं और किताबें सुनने का उनका अनुभव कैसा है. राम बिहेवियरल चेंज के फ़ील्ड में

  • 37: कैसे चुनी जाती हैं दैनिक जागरण-नीलसन हिंदी बेस्टसेलर किताबें? जानिये जागरण के डीजीएम प्रशांत कश्यप और नीलसन के डायरेक्टर विक्रांत से

    16/07/2019 Duração: 53min

    दैनिक जागरण और नीलसन की हिंदी बेस्टसेलर लिस्ट हिंदी में जारी होने वाली पहली बेससेलर लिस्ट है. पहली बार इसका प्रकाशन अगस्त 2017 में हुआ था और तब से हर तिमाही होता रहा है.  लिस्ट से पहली बार प्रकाशित होने के समय से ही इसको ले कर पाठकों, लेखकों और प्रकाशकों में ख़ूब उत्सुकता और अपार चर्चा रही है. इस एक्सक्लूजिव बातचीत में दैनिक जागरण के डिप्टी जनरल मैनेजर प्रशांत कश्यप और नीलसन के डायरेक्टर विक्रांत बता रहे हैं कि क्यूँ एक न्यूज़ पेपर ने यह पहल करने की सोची, इसके लिए किताबों का चयन कैसे किया जाता है और उन्हें अब तक लेखकों, प्रकाशकों और पाठकों से कैसा फ़ीडबैक मिला है. हमने इस बातचीत में यह भी सवाल उठाया है कि ऑडियो बुक्स को इस सूची में कब शामिल किया जाएगा?  जागरण-नीलसन बेस्टसलर लिस्ट्स में शामिल कुछ किताबों और लेखकों को आप स्टोरीटेल पर सुन भी सकते हैं.  1. 84: सत्य व्यास  2. अक्टूबर जंक्शन: दिव्य प्रकाश दुबे 3. औघड: नीलोत्पल मृणाल  4. लता सुर गाथा: यतीन्द्र मिश्र  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ. 

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